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50% टैरिफ़ से भारतीय शेयर बाज़ार में हलचल – निवेशकों के लिए बड़ा अलर्ट |
नई दिल्ली, 28 अगस्त 2025 – जब भी वैश्विक बाज़ारों में भूचाल आता है, सबसे पहले असर शेयर बाज़ार में दिखाई देता है। ऐसा ही अभी भारत के साथ हो रहा है। अमेरिका और यूरोप ने भारत से आने वाले सामान पर 50% तक टैरिफ़ लगा दिया है। इसका मतलब है – भारतीय कंपनियों के लिए अब Export करना महंगा और मुश्किल होगा।
लेकिन शेयर बाज़ार सिर्फ गिरता नहीं… वह मौके भी देता है। सवाल यह है – क्या यह भारत की कमज़ोरी है या नई ताक़त की शुरुआत?
जब सोमवार को शेयर बाज़ार खुला, तो सेंसेक्स 800 अंकों तक गिरा और निफ़्टी 200 अंकों तक फिसला।
1.आईटी सेक्टर के दिग्गज Infosys और TCS पर बिकवाली का दबाव था।
2.Textile और Garment कंपनियों के शेयर 7% तक टूट गए।
3.दवा बनाने वाली कंपनियों (Pharma) में भी गिरावट देखी गई।
4.लेकिन हैरानी की बात यह थी कि FMCG और Banking स्टॉक्स हरे निशान पर बंद हुए।
👉 यानी मार्केट ने पहले दिन ही साफ़ कर दिया कि नुकसान और फ़ायदा साथ-साथ चलने वाला है।
IT sector का सबसे बड़ा Export अमेरिका में है।
Tarrif से भारतीय सॉफ़्टवेयर सेवाएँ महंगी होगी अमेरिका में दुसरे देशो की तुलना में क्यों कि भारतीय वस्तुओं या सेवाओं पर अतिरिक्त 50 % Tax देना होगा भारतीय कंपनीयो को इस से अमेरिकी कंपनीया नए देशों की तरफ़ देख सकती है।
इससे Infosys, Wipro, TCS जैसी कंपनियों की ग्रोथ स्लो हो सकती है।
2. Textile और Garments
यूरोप में सबसे ज़्यादा मांग भारतीय कपड़ों की है। Tarrif से भारतीय कपड़े महंगे हो जाएंगे दुसरे देशो की तुलना में क्यों कि भारतीय वस्तुओं या सेवाओं पर अतिरिक्त Tax देना होगा भारतीय कंपनीयो को। इस से यूरोपीय कंपनीया नए देशों की तरफ़ देख सकती है।
अब ड्यूटी बढ़ने से Bangladesh, Vietnam और China को फायदा मिलेगा।
Surat जैसे शहरों की फैक्ट्रियाँ मुश्किल में आ सकती हैं।
अमेरिका में भारतीय दवाइयाँ सस्ती मानी जाती हैं।
लेकिन टैरिफ़ के बाद प्राइस बढ़ेंगे, Tarrif से भारतीय सेवाएँ महंगी होगी अमेरिका में दुसरे देशो की तुलना में क्यों कि भारतीय वस्तुओं या सेवाओं पर अतिरिक्त 50 % Tax देना होगा भारतीय कंपनीयो को इस से अमेरिकी कंपनीया नए देशों की तरफ़ देख सकती है।और Orders कम हो सकते हैं।
यह sector Export नहीं, Domestic Demand पर चलता है। भारती बजाय अपने आप में बहुत बड़ा बजार है।
इस लिए इस sector पर Tarrif का कोइ प्रभाव नहीं पड़ेगा।
सरकार Exporters को राहत पैकेज और Soft Loan देगी।
इससे बैंकों की लोन बुक मज़बूत होगी। जिस से यह sector मजबूत हो सकता है।
Make in India और Self-Reliant India को सबसे बड़ा बूस्ट मिलेगा।
Electronic और Auto पार्ट्स का स्थानीय उत्पादन बढ़ेगा।
अमेरिका का कहना है कि भारत Unfair Trade Practices कर रहा है।
भारत का पलटवार: हमारे उत्पाद सस्ते और क्वालिटी वाले हैं, इसलिए माँग है।
Experts मानते हैं कि यह Trade War सिर्फ शुरुआत है, आने वाले महीनों में अमेरिका Tarrif में और देशों को जोड़ सकता है।
❎ IMF की रिपोर्ट के अनुसार, अगर यह टैरिफ़ 1 साल चला तो भारत के Export में 12% की गिरावट आ सकती है।
Export बेस्ड कंपनियों से दूरी बनाएँ।(3–6 महीने)
FMCG, Banking और Auto सेक्टर में Entry लें।
Gold और Crude Oil में Hedge करें।
Make in India थीम पर ध्यान दें।
PSU Banks और Infra कंपनियों में Value Pick बन सकती है।
IT में गिरावट Long Term Buying Opportunity भी हो सकती है।
शॉर्ट टर्म - वोलैटिलिटी बढ़ेगी, हर दिन 300–400 अंकों का मूव आम होगा।
मीडियम टर्म- FMCG और Banking स्टॉक्स मार्केट को सँभालेंगे।
लॉन्ग टर्म- भारत की 140 करोड़ आबादी और Domestic Demand विदेशी निवेशकों को आकर्षित करेगी।
1. युवा आबादी – दुनिया का सबसे बड़ा वर्कफोर्स भारत के पास है।
2. टेक्नोलॉजी और Startups – हर साल 50,000 से ज़्यादा स्टार्टअप।
3. Make in India Policy – सरकार Manufacturing को बूस्ट कर रही है।
4. Domestic Market – भारत खुद इतना बड़ा मार्केट है कि दुनिया इसे नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती।
1.विदेशी टैरिफ़ भारत के लिए चुनौतियाँ ज़रूर लाएगा।
2.IT, Textile और Pharma जैसी कंपनियाँ मुश्किल में आएँगी।
3.लेकिन FMCG, Banking और Domestic Manufacturing कंपनियाँ मज़बूत होंगी।
🚧❎ असली खेल निवेशकों के लिए यह है कि वे डरें नहीं, समझदारी से Strategy बदलें।
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